आस्था का केंद्र श्री राजेश्वर धाम

आस्था का केंद्र श्री राजेश्वर धाम

श्री राजाराम जी महाराज का आश्रम लूनी [ विधान सभा क्षेत्र ] से 6 किमी दूर शिकारपुरा गॉव में प्रवेश करते ही आँजणा समाज की गौरव महिमा का परिचय उसके भव्य स्वरूप से हो जाता है । सर्वप्रथम शिकारपूरा तालाब पर ही राजारामजी द्वारा महादेवजी का मंदिर बनवाया गया था जिससे वर्तमान में राजारामजी का पुराना मंदिर कहा जाता है । तत्पश्चात एक बगीची का निर्माण करवाया गया था ।जो आज एक भव्य एवं विस्तृत धाम का रूप ले चूका है और यह अब राजारामजी आश्रम के नाम से प्रसिद है ।आज यह धाम आँजणा समाज का प्रतीक बन कर पुरे समाज को दिशा देने का रथ है । शिकारपुरा का जो वर्तमान स्वरूप है उसके पीछे समाज बन्धुओ का तो योगदान है ही किन्तु पूजनीय किशनारामजी की प्रेरणा और उनके परिश्रम को कम करके नहीं आका जा सकता ।

राजारामजी का आश्रम शिकारपुरा में एक बहुत बड़े भू-भाग पर फेला हुआ है ।इस आश्रम में दो प्रवेश द्वार है एक प्रवेश द्वार लूणी शिकारपुरा मार्ग पर स्थित है जो सीधा मुख्य मंदिर तक ले जाता है और दूसरा प्रवेश सालावास शिकारपुरा मार्ग पर स्थित है मुख्य चोराहे से डेड किमी अन्दर जाने पर अभी हाल ही में निर्मित भव्य सत्संग भवन तक पहुचते है ।

राजारामजी आश्रम में मुख्य मंदिर राजारामजी का जीवित समाधी स्थल है जिसके साथ ही श्री राधा कृष्णा का मंदिर भी है। शिकारपुरा मंदिर अत्यंत ही भव्य तथा शांतिप्रदायक है , चारो और राजारामजी की जीवनी हस्त कला - कृतियो के माध्यम से दर्शाया गया है । इस मंदिर से ऊपर की और जाते ही श्री राधा कृष्णा का नवनिर्मित मंदिर है जिसकी छटा देखते ही बनती है ।

मंदिर के बायीं और बहुत बड़े भू- भाग में धर्मशाला का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चूका है ।यह धर्मशाला भविष्य में आश्रम में विश्राम स्थल के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी । इसी के साथ - साथ एक विशाल रसोई भवन भी निर्मित किया गया है । जो मेले के दौरान तथा अन्य दिवसों में आये हुए अतिथियों की सेवा में मुख्य भूमिका निभा रही है ।रसोई भवन के पास में ही बहुत बड़ी यज्ञशाला है जिसमे बड़ी मात्रा में यज्ञ - वेदिया बनाई गयी जो बहुत मनोरम आभा बिखेरती है यज्ञशाला के समीप एक मंदिर तथा एक पानी की टंकी भी है ।

इस मंदिर के दायी और एक बहुत बड़ी गौशाला है जिसमे काफी संख्या में गौमाताये है जिनकी अच्छे प्रकार से सेवा सुश्रषा की जाती है दिन के समय में गायो को चराने के लिए खेतो में ले जाया जाता है , गौशाला के समीप ही पक्षियों के लिए चबूतरे का निर्माण कराया गया है जहा पर अनेको अन्न आदि दिया जाता है आश्रम में वर्तमान में विशाल सत्संग [ सभा ] भवन का निर्माण करवाया गया है ,जहा श्री किशनारामजी महाराज के सानिध्य में सत्संग होते थे और अब वर्तमान गादिपति श्री दयारामजी महाराज की निश्रा में सारे कार्यकर्म संपन होते है।इस भवन की शिल्प-कला अत्यंत मनोरम है इस पुरे आश्रम में फेली हुई हरियाली बहुत सुखद अनुभव देती है ।

इस आश्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर आनेवाले श्रदालुओ की .. की जाने वाली सेवा तथा अतिथि सत्कार बहुत सहारनीय है। श्रदालु वर्तमान गादीपति श्री दयारामजी महाराज का सामीप्य पाकर अपने आप में धन्य मानते है यहाँ पर श्रदालुओ के ठहरने के लिए विश्राम घर भी है, यहाँ आने वाले हर श्रदालु को चाय, गाय का दूध, दही,भोजन,अल्पाहार आदि की व्यवस्था से अतिथि सत्कार किया जाता है सभी सेवा करने वाले भी भक्तगण ही है। आश्रम में विशाल अन्न भंडार है जिसका उपयोग श्रदालुओ
के लिए किया जाता है।पुरे आश्रम की व्यवस्था यहाँ पर बनी हुई प्रन्यास सिमिति देखती है जिसका कार्यालय भी आश्रम में ही स्थित है।

जून 2011 में समाधी मंदिरों का प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से संपन हुआ । इस प्रतिष्ठा महोत्सव में लगभग 12 लाख श्रदालु उपस्थित थे ब्रह्मलीन देवारामजी महाराज एवम किशनारामजी महाराज की समाधी पर नवनिर्मित मंदिर की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक समारोह ने प्रदेश ही नहीं बल्कि पुरे देश के मानचित्र पर शिकारपुरा आश्रम की गूंज फ़ेला दी ।प्रतिष्ठा महोत्सव को देखते हुए हाल ही में कई नये निर्माण भी करवाए है । जय राजेश्वर भगवान की...