बाल विवाह रोक थाम हेतु कड़े इंतजाम

बाल विवाह क़ानूनी अपराध है

बाल विवाह क़ानूनी जुर्म है -
राजस्थान में बाल विवाहों की संभावना अधिक रहती है। लडकी का छोटी आयु में विवाह करना सामाजिक,आर्थिक एवं नैतिक‍ दृष्टि से हानिकारक तथा कानूनी दृष्टि से अपराध है। गृह विभाग बाल विवाह रोकथाम का नोडल विभाग है। निदेशालय, महिला अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह की रोकथाम व उसके विरूद्ध जनमानस में वातावरण बनाने के उद्देश्यब से विशेष प्रयास किये जा रहे है। वे जातियां एवं क्षेत्र जिनमें बाल विवाह विशेष रूप से किये जाते है, उन पर विशेष ध्यान देकर वर्ष पर्यन्तय आयोजित बैठकों, जाजमों, शिविरों तथा प्रशिक्षण में साथिन, प्रचेता एवं अधिकारियों के माध्य्म से बाल विवाह से होने वाली सामाजिक, आर्थिक, स्वाणस्य्या संबंधी हानि पर चर्चा की जाती है, कानूनी प्रावधानों से अवगत कराया जाता है। प्रतेयक उपखण्डव अधिकारी को उनके क्षेत्र के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। बाल विवाह आयोजन की सूचना मिलने पर बाल विवाह निषेध अधिकारी को सूचित किया जाता है। बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार आयोजकों एवं बाल विवाह में भाग लेने वाले व्यहक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के तहत जुर्माना एवं सजा हेतु कार्यवाही की जाती है। जो 1 लाख रूपये जुर्माना अथवा 2 वर्ष का कठोर कारावास अथवा दोनो दिये जाने का प्रावधान है। अक्षय तृतीया पर अबूझ सावा होने के कारण बाल विवाह अधिक होने की संभावनाओं के मध्य नजर माह मार्च,अप्रेल व मई महीने में इस दिशा में विशेष प्रयास किये जाते है। इस अबूझ सावे के अवसर पर अधिनियम 2006 के तहत जिला कलेक्टर को जिले के बाल विवाहों को रोकने के लिए निषेध अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई है।