समाज को जागरूक होना होगा

समाज के विशेषरूप से युवा साथियों से यह अपेक्षा की जा सकती है कि व्यसनमुक्ति के प्रति जागरूक हम कैसे बन सकते हैï? आज विकास का दौर है, प्रगति की नित नई संभावनाओं को संजोते हुए टैक्रोलॉजी का निरंतर विकास हो रहा है और हमारे समाज के भी युवक अब आगे आ रहे है इस टेक्नोलॉजी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर। अब यह सोचिए कि विकास के इस नए दौर में यदि हमने नशे को अपना लिया तो हमारी स्थिति क्या हो जाएगी। व्यसनमुक्ति के लिए समाज के बड़े-बुजुर्ग, युवा, माताए, बहनें सभी का साथ चाहिए। यदि हमने नशे के प्रति जागरूकता नहीं लाई और इसके संभावित परिणामों को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत तकलीफ हो जाएगी।

देखा जाए तो व्यक्ति नशा खुद की इच्छा से कोई नहीं सिखता। छोटी उम्र में कुसंगत की वजह से नशे की लत पड़ जाती है और वह धीरे-धीरे बड़ा रूप धारण कर लेती है और यहां तक कि कई बार परिवार की बर्बादी तक की नौबत आ जाती है। नशे की लत लगने के बाद जब व्यक्ति को उसे नशा छोडऩे की कोई बात करता है तो बहुत बुरा भी लगता है और ऊपर से कहता है कि आपको क्या पता? आपने कोई नशा थोड़े ही किया है? नशे में क्या स्वाद होता है आप करके देखो तब पता चलेगा। कई बार नशे की लत वाले व्यक्ति को समझाने पर उससे बोलना ही बंद कर देते है। नशेड़ी व्यक्ति पर एक तरह से अंधापन छा जाता है। कई नशे तो ऐसे है कि यदि एक समय भी उसका सेवन नहीं किया तो व्यक्ति जिन्दा लाश की तरह बन जाता है और फिर अपनी आदत से लाचार होकर उस नशे की वस्तु को पाने में यदि जेब में पैसे नहीं हो तो कई दूसरे हथकंडे यानि चोरी, उधार, डकैती, धौंस आदि अपनाने पड़ते है यानि नशा एक साथ कितनी बुराईयों को लेकर आता है। यह सोचने की बात है।

मैं ऐसे समाजबंधुओं से कहना चाहता हूं कि आप आने वाली पीढी और आपके बच्चों के भविष्य के बारे में जरा सोचें। परिवार में यदि किसी एक को ही यदि नशे की लत लग गई तो उस परिवार का क्या हाल होगा। सारा कमाया हुआ धन तो चला ही जाएगा, स्वास्थ्य भी बिगड़ेगा। जब आप अपने बेटे को यानि अपने दिल के टुकड़े को देशावर कमाने के लिए भेजते हो और वह देशावर जाकर अपनी मेहनत मजदूरी करके आपको रूपया भेजता है और यदि आप उन रूपयों से अधिकांश राशि अपनी नशे की आदत पर खर्च कर लेते हो तो आप सोचिए कि आपके दिल के टुकड़े द्वारा की गई मेहनत का क्या परिणाम निकला। हमारा समाज तो दूध और घी रूपी अमृत बेचकर मेहनत मजदूरी करने वाला समाज है और यह अमृत बेचकर यदि हम तम्बाकू, दारू, डोडा, अफीम आदि घर पर ऐसा जहर लेकर आते है तो आप सोचिए कि अमृत बेचकर आपने क्या कमाया। सीधी बात है जहर कमाया। आओ हम सब मिलकर व्यसन मुक्त समाज का निर्माण करें। सबका साथ सबका विकास के आधार पर समाज को व्यसन मुक्त बनाएं।