गुरुवाणी

मेरे शब्दों में इतना जोर नही ...

गुरु राजेश्वर की तारीफ़ करूँ कैसे,
मेरे शब्दों मेँ इतना ज़ोर नहीं,

सारी दुनिया में जाकर ढूँढ लेना,
मेरे गुरु महाराज जैसा कोई और नहीं!!

ह्र्दय से राजाराम जी का सुमिरन किया तो
आवाज़ द्वारिकाधीश तक जायेगी
गुरु देव् ने जो सुन ली हमारी,
तो हर बिगड़ी ही बन जाएगी!!

श्री राजेश्वर भगवान आजंणा चौधरी पटेल समाज के भाई को खेत मे हल जोतते वक़्त मिले ओर आशिॅवाद देते हुए .....

शिकारपुरो हद सोवनो मरूधर देश मंजार
पटेलो घरे पधारने आप लियो अवतार
जय श्री राजेश्वर भगवान कि...

आरती ( श्री राजेश्वर भगवान की )

ओम जय गुरुदेव हरे ,प्रभु जय गुरुदेव हरे ।।
ऊधम उद्धारण कारण,भक्ति बढ़ावन कारण
संतन रूप धरे ।

श्वेत वस्त्र शोभित,गल बिच फूल माला ।। प्रभु को
गुरूजी का रूप निरखता, शीश चंद्र भाला ।। ओम

कर बिच सिवरण ,शोभा अति भारी ।। प्रभु को
दर्शन से सुख आवै, कष्ट मिटे तन का ।। ओम

केशर चंदन पुष्प ,चढ़े है कपूर बाती ।। प्रभु को
गुरूजी की पूजा करजो ,प्राणी दिन राती।।ओम

चरण चरणामृत लेकर,नित उठ पान करे।। प्रभु को
तन निर्मल हो जावै ,पाप मिटे मन का ।। ओम

श्री राजारामजी जीवन कथा ****

गायो चराई गांव री , बिन लकड़ी ले हाथ ।
पग उरबांण घेरता , तन मन सू वे तात ।
गांव धणी रे हली रहता , करता खेती धाप ।
कोई ना वांरी आदर करता , रमता आपो आप ।
रिजको पावत रावलो , करता मोजां मोज ।
भजन करता प्रभु तणा , नित प्रभातो रोज ।
एक दिवस रा बारह सोगरा , रावला सू आता ।
आधा तो आप खुद जिमता, आधा कुत्ता खाता ।
नापट जाय ठाकुर सू कहे , सुण जो बात हमारी ।
ओ मूंगे भाव रो धान बिगाड़े , धापे न मुढ़ भिखारी।
इण रो भातो आधो करदो, छः सोगरा भेजो ।
आप खाय चाहे कुत्ता जिमावे, चाहे भूखो रहिजो।
आवे जिणसूं आध , कुत्तों ने नोकें कहे ।