आरती ( श्री राजेश्वर भगवान की )
Submitted by Skahore on 27 April 2016 - 1:14amओम जय गुरुदेव हरे ,प्रभु जय गुरुदेव हरे ।।
ऊधम उद्धारण कारण,भक्ति बढ़ावन कारण
संतन रूप धरे ।
श्वेत वस्त्र शोभित,गल बिच फूल माला ।। प्रभु को
गुरूजी का रूप निरखता, शीश चंद्र भाला ।। ओम
कर बिच सिवरण ,शोभा अति भारी ।। प्रभु को
दर्शन से सुख आवै, कष्ट मिटे तन का ।। ओम
केशर चंदन पुष्प ,चढ़े है कपूर बाती ।। प्रभु को
गुरूजी की पूजा करजो ,प्राणी दिन राती।।ओम
चरण चरणामृत लेकर,नित उठ पान करे।। प्रभु को
तन निर्मल हो जावै ,पाप मिटे मन का ।। ओम