श्री १००८ श्री देवारामजी महाराज
श्री 1008 देवारामजी महाराज का जीवन परिचय
श्री राजारामजी महाराज के समाधि के बाद आपके प्रधान शिष्य श्री देवारामजी महाराज को आपके उपदेशो का प्रचार व प्रसार करने के उद्देश्य से आपकी गद्दी पर बिठाया और महंत श्री की उपाधि से विभूषित किया गया ! महंत श्री देवारामजी ने अपने गुरुभाई श्री लच्छीरामजी ,श्री गणेशरामजी और श्री शंभुरामजी के साथ भ्रमण करते हुए श्री राजारामजी महाराज के उपदेशो को संसारियों तक पहुँचाने का प्रयत्न करने में अपना जीवन लगा दिया ! श्री गुरुदेव राजारामजी के शुरू किये हुए काम को पूरा करने में अपना जीवन लगाकर अथक प्रयत्न करते रहे ! जिसके लिए आंजना पटेल समाज सदा आपका ऋणी रहेगा !
देवारामजी की स्तुति
आनंद मंगल कंरु आरती,
हरि गुरु सन्तन सेवा।
सकल तीर्थ सन्तों के दर्शन,
संतन संग है मेवा।।
देव रुप है देवारामजी
गंगा जमना सम खेवा।
आप तरे कुल तारण वाले,
गुरुवर मेरे देवा।।
श्वेत वस्त्र में शुद्ध भावना,
दीन हीन की सेवा।
अन्न दान उत्तम अतिमानों,
दे शिक्षा सुसंस्कार गुरु देवा।।
सकल मनोरथ पूर्ण होवे,
संत्सग आपकी श्री देवा।
कष्ट मिटे तरें भवसागर,
हरि गुरु सिर चरणों लेवा।।
श्री गुरुवर की मंगल आरती,
कर कर पावे मेवा।
हाथ जोड़ मोहन सिर चरणों,
हाथ जोड़ भक्तन सिर चरणों।।
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