ख़रीफ़ की फ़सल - मक्का
मक्का की खेती खरीफ एवं जायद दोनों फसलो में की जा सकती है, मक्का की खेती चारा तथा दाना, दोनों के लिए की जाती है, साथ ही यह अल्प अवधि की फसल होने के कारण बहुफसली खेती के लिए इसका अत्यंत महत्व है
जलवायु और भूमि..
मक्का की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आश्यकता होती है ?
मक्का की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु के साथ-साथ बुवाई के समय 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान होना आवश्यक है, इसकी अच्छी उपज हेतु दोमट या बलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है
प्रजातियाँ..
मक्के की उन्नतशील प्रजातियाँ कौन कौन सी हैI
मक्के की बुवाई के लिए दो प्रकार की प्रजातियाँ पायी जाती है, एक तो सामान्य प्रजातियाँ जैसे की नवीन, स्वेता, कंचन, शक्ति-1, आजाद उत्तम, नव ज्योति, प्रभात, गौरव, प्रगति, यह प्रजातियाँ सामान्य या संकुल प्रजातियाँ है, दूसरी है संकर प्रजातियाँ जैसे की गंगा-2, गंगा-11, सरताज, प्रकाश, शक्तिमान-2, पूसा अगेती-2, जे एच-3459 यह संकर प्रजातियाँ पायी जाती है
खेत की तैयारी..
हमारे किसान भाई खेतो की तैयारी किस प्रकार करें?
खेत की पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करने के बाद 2-3 जुताई देसी हल से या कल्टीवेटर से करनी चाहिए, आखिरी जुताई में 200 से 250 कुन्तल गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट मिला कर पाटा लगा देना चाहिए
बीज बुवाई..
बुवाई का सही समय क्या है, बीजो का शोधन किस प्रकार से करें?
मक्का की फसल की बुवाई मौसम के हिसाब से खरीफ में जून के अंत तक बुवाई कर लेना चाहिए, जायद में फरवरी के अन्त तक बुवाई कर लेना चाहिए, इससे की हमारी पैदावार पर कोई कुप्रभाव न पड़ सके, मक्के के बीज को बुवाई से पूर्व 1 किलो ग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से शोधित करना अति आवश्यक हैI
फसल के बीजो की मात्रा कितनी होनी चाहिए तथा इसके लिए बुवाई का तरीका क्या है?
सामान्य मक्का के लिए 18 से 20 किलोग्राम प्रति हैक्टर तथा संकर मक्का की बीज दर 12 से 15 किलोग्राम प्रति हैक्टर प्रयोग करना चाहिए, मक्का की बुवाई हल के पीछे 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर करे तथा लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौध से पौध की दूरी 30 सेंटी मीटर रखनी चाहिए
पोषण प्रबंधन..
फसल में खाद और उर्वरको का प्रयोग हमें कितनी मात्रा में करना चाहिए और कब करना चाहिए?
मक्का की भरपूर उपज लेने के लिए संतुलित उर्वरको का प्रयोग करना आवश्यक है, मक्का की फसल के लिए खाद का प्रयोग खेत तैयारी के समय किया जाता है, उर्वरक में 120 किलो ग्राम नत्रजन, 60 किलो ग्राम फास्फोरस तथा 60 किलो ग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करते है, नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय प्रयोग करना चाहिए, शेष नत्रजन की आधी मात्रा को दो बार में खड़ी फसल में टापड्रेसिग के रूप प्रयोग करे, आधी मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन बाद शेष फूल आने के समय नत्रजन की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए
जल प्रबंधन..
सिचाई करनी कब आवश्यक होती है, मक्का की खेती में?
मक्का की दो फसलो में पैदावार की जाती है, जैसे खरीफ और जायद, मक्का की फसल में वर्षा ना होने की स्थिती में आवश्यकता अनुसार सिचाई करते रहना चाहिए, यह खरीफ में करना अति आवश्यक है, लेकिन जायद में 7-8 सिचाईयों की आवश्यकता पडती है, फिर भी आवश्यकतानुसार 10 से 12 दिन के अन्तराल पर सिचाई करते रहना चाहिए, जिससे की हमारी पैदावार पर कुप्रभाव ना पड़ सके
खरपतवार प्रबंधन..
मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण किस प्रकार करें?
खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के तुरन्त बाद पेंडामेथलिन 30 ई.सी. की 3.3 किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टर 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए, जिससे की खरपतवार उग ना सके, फसल जब 20 से 25 दिन की हो जाए, तो निकाई करके भी खरपतवार नियत्रण किये जा सकते है
रोग प्रबंधन..
कौन कौन से रोग मक्का की फसल को प्रभाबित करते है?
मक्का की फसल में प्रमुख रोग जैसे की तुलसासित, पत्तियों का झुलसा रोग, सूत्रकृमि तथा तना सड़न रोग से फसल के बचाव के लिए जिनेब की 2.0 किलोग्राम मात्रा या जीरम 80% की 2.0 लीटर मात्रा पानी में घोलकर छिडकाव करें, तथा तना सड़न की रोकथाम के लिए 15 ग्राम स्टेपटोसाईक्लीन तथा 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड का प्रति हैक्टर छिडकाव करना चाहिए, जिससे की हमारे फसल में रोग प्रभावित ना कर सके
कीट प्रबंधन..
मक्का की फसल में कीटो से बचाव किस प्रकार से करे?
मक्का की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट जैसे तना छेदक, पत्ती लपेटक कीट, टिड्डा तथा भुडली (कमला कीट) की रोकथाम के लिए डाइक्लोरवास 70 ई.सी. 650 मिलीलीटर मात्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करे या क्यूनालफास 1.5% धुल की 20 किलोग्राम मात्रा को फसल में प्रति हैक्टर के हिसाब से बुरकाव करे, जिससे की हमारे कीटों का प्रकोप ना हो सके और उपज पर कुप्रभाव ना पड़े
फसल कटाई..
कटाई और उसकी मड़ाई किस प्रकार होती है,मक्का की फसल में ?
फसल पकने पर भुट्टो को ढकने वाली पत्तियां जब पीली पड़ने लगती है, इस अवस्था पर कटाई करनी चाहिए, भुट्टो की तुडाई करके धुप में अच्छी तरह सुखाकर, हाथ या मशीन द्वारा दाना निकालना चाहिएI अक्सर देखा गया है कि किसान भाई डंडे से पिटाई करके दाना निकलते है, इससे दाने की गुद्वता ख़राब हो जाती है,इसलिए डंडो से पिटाई करके दाना नहीं निकालना चाहिए
पैदावार..
मक्के की फसल से प्रति हैक्टर कितनी उपज प्राप्त हो जाती है?
मक्के की फसल से प्रति हैक्टर औसत उपज दाना सामान्य प्रजातियों से 35 से 40 कुन्तल तक प्राप्त होता है, यही पर संकर प्रजातियों से 40 से 45 कुन्तल प्रति हैक्टर दाना प्राप्त होती है