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श्री राजेश्वर भगवान के जन्मोत्सव पर शिकारपुरा में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जायेगा

रक्तदान ही महादान ...
दिनांक 15/04/2016 गुरु श्री राजेश्वर भगवान के जन्मोत्सव एवम श्री रामनवमी मेले के अवसर पर शिकारपुरा में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जायेगा। जिसमे आप भी रक्तदान कर किसी का जीवन बचा कर पूण्य के भागीदार बन सकते हैं ,रक्तदान का आयोजन पिछले साल मेले में भी किया गया था जिसमे कई समाज बंधुओ ने भाग लिया था।

नशा मुक्ति व मृत्यु भोज बंद करने का संकल्प

सांचौर।आंजणा (पटेल) सेवा संस्थान की बैठक पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी के मुख्य आतिथ्य एवं सांसद देवजी पटेल की अध्यक्षता में संस्था अध्यक्ष मोतीराम चौधरी व संरक्षक रूपाराम चौधरी के विशिष्ट आतिथ्य में हुई। बैठक में विद्यालय व महाविद्यालय का निर्माण प्रारंभ करना मय चंदा जुटाने का कार्य शीघ्र प्रारंभ करना, मृत्यु-भोज व नशाबंदी पूर्ण रूप से बंद करना, गंगा-प्रसादी दो बार से अधिक न करना, मृत्यु बाद बारहवें पर आगली व्यवस्था बंद करने, शिक्षा को बढ़ावा देने, घर-घर बालक-बालिकाओं को अनिवार्य रूप से पढ़ाने के प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित किए गए। इस अवसर पर संस्था महासचिव जोधाराम चौधरी, कोषाध्यक्ष प्रभुरा

ऐतिहासिक फैसला - रेवदर

आँजणा चौधरी समाज का स्नेह मिलन समारोह व नशा मुक्ति अभियान का रेवदर तहसील के भामरा गांव में चौधरी भवन में किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के अग्रणी बड़े बुजुर्ग व युवा साथियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित रहकर नशा (अफीम) मुक्त समाज का संकल्प लिया।

समाज को जागरूक होना होगा

समाज के विशेषरूप से युवा साथियों से यह अपेक्षा की जा सकती है कि व्यसनमुक्ति के प्रति जागरूक हम कैसे बन सकते हैï?

आंजणा चौधरी समाज प्रगति की राह पर

आज पूरे देश भर में आंजणा चौधरी समाज प्रगति की राह पर है और निरंतर फल फूल रहा है। पिछले कुछ वर्षो में शिक्षा व जागरूकता की कुछ कमी के चलते स्वाभाविक तौर पर कुछ सामाजिक बुराईयों और विशेषकर नशे की प्रकृति ने अपना राज स्थापित कर लिया और उसका परिणाम यह रहा कि शादी-ब्याह,मौसर (मृत्युभोज) व अन्य अवसरों पर अफीम का प्रचलन हो गया। चिन्ता का विषय तो इससे भी अधिक यह हो गया है कि अफीम की जगह अफीम का दूध प्रयोग में लिया जाने लगा है जो सबसे घातक व हानिकारक नशा है। आम तौर पर समाज में इस बढते अफीम व अफीम के दूध के प्रयोग के विरूद्ध तो अधिकांश लोग है लेकिन बुजुर्गो के समय से चली आ रही इस प्रथा का विरोध करने

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